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वैशाली के बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का निर्माण अंतिम चरण में, जानें खासियत..

Construction of Buddha Samyak Darshan Museum-cum-Memorial St

Patna :- वैशाली का बुद्ध स्तूप जल्द ही आम लोगों को नए  और भव्य रूप में देखने को. बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप के निर्माण कराया जा रहा है.

 इस निर्माण कार्य को लेकर सरकार के भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने समीक्षात्मक बैठक की गई। उन्होंने स्तूप के निर्माण कार्य की अद्यतन स्तिथि की जानकारी ली और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निदेश दिया। बैठक में विभाग के वरीय पदाधिकारी, अभियंतागण सहित अन्य लोग शामिल हुए. कुछ अधिकारी ऑनलाइन माध्यम से भी उपस्थित थे।

   इस बैठक में सचिव कुमार रवि को अवगत कराया गया कि बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का निर्माण कार्य पूरा हो गया है और फिनिशिंग का कार्य तेजी से किया जा रहा है। स्मृति स्तूप के 46 लेयर में से 38 लेयर का फिनिशिंग कार्य पूर्ण कर लिया गया है। बचे हुए 8 लेयर का फिनिशिंग कार्य तेजी से प्रगति पर है, जिसे अप्रैल महीने के अंत तक पूर्ण कर लिया जाएगा। स्तूप के चारों ओर लिली पाउंड निर्माण का कार्य के बारे में भी जानकारी दी गई। रैम्प का भी कार्य पूर्ण हो गया है।

 सचिव द्वारा फिनिशिंग तथा साफ-सफाई कार्य में तेजी लाने का निदेश दिया गया। इसकी समीक्षा संबंधित पदाधिकारियों को करने का निदेश दिया गया। लिली पाउंड का कार्य जल्द पूरा करें। संग्रहालय-1 एवं 2 में प्रदर्श अधिष्ठापन के कार्य प्रगति की समीक्षा भी सचिव द्वारा की गई। उन्होंने कार्यकारी एजेन्सी को संग्रहालय का कार्य समय पर पूरा करने का निदेश दिया। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वर्क की प्रगति की जानकारी ली गई। साइनेज लगाने का कार्य जल्द पूरा करने के लिए निदेशित किया गया।

 बताते चलें कि वैशाली में 550.48 करोड़ की लागत से 72.94 एकड़ के भूखण्ड पर बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। वर्तमान में फिनिशिंग तथा साफ-सफाई का कार्य तेजी से चल रहा है। मूर्ति का काम उड़ीसा के कलाकारों द्वारा किया जा रहा है। स्तूप को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए राजस्थान से गुलाबी पत्थर मंगवाए गए। इसमें 38500 पत्थर लगाए गए हैं। यह संरचना पूरी तरह पत्थरों से निर्मित है और पत्थरों को लगाने के लिए सीमेंट या किसी प्रकार चिपकाने वाला पदार्थ या अन्य चीजों का प्रयोग नहीं किया गया है। आने वाले समय में स्तूप का भव्य अर्किटेक्चर विश्व पटल पर अपनी अनोखी पहचान बनाएगा। यहां आने वाले पर्यटक भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन का अद्वितीय चित्रण एवं स्मृति चिन्हों का अवलोकन कर सकेंगे। 

           सीमेंट, ईंट या कंक्रीट जैसी सामग्री के बिना ही 4300 वर्ग मीटर के भूखंड पर स्मृति स्तूप का निर्माण किया गया। स्तूप की कुल ऊंचाई 33.10 मीटर, आंतरिक व्यास 37.80 मीटर तथा बाहरी व्यास 49.80 मीटर है। स्तूप के भूतल पर 2000 श्रद्धालुओं के बैठकर ध्यान करने हेतु एक विशाल हॉल का निर्माण किया गया है। भगवान बुद्ध से जुड़ी हुई स्मृतियों को रखने हेतु संग्रहालय में भगवान बुद्ध से संबंधित प्रदर्श एवं कलाकृतियों का अधिष्ठापन किया गया। स्तूप परिसर में पर्यावरण के दृष्टि से भी काफी काम किया गया है। परिसर को सुंदर दिखाने के लिए वृहद पैमाने पर पौधारोपण कर हरियाली विकसित की गई है। कुल हरियाली क्षेत्र लगभग 271689 वर्गमीटर है। सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युत आपूर्ति हेतु 500 किलोवाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं। इसके साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं  वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए गए हैं। परिसर की सुंदरता बढ़ाने के लिए तालाब के किनारे अन्य जल संरचना में कुछ आवश्यक निर्माण किया जा रहा है। बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप परिसर में कई स्थलों पर छोटे-छोटे कार्य किए जा रहे हैं, जिससे परिसर और सुंदर एवं मनमोहक लग सके।

     वैशाली में भगवान बुद्ध का अस्थि कलश मिला है, जिसे बुद्ध स्मृति स्तूप में स्थापित किया जाएगा। महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं और बौद्ध धर्म से जुड़े प्रसंगों को संग्रहालय में दर्शाया गया है।  आने वाले समय में यह संग्रहालय बिहार की सांस्कृतिक विरासत एवं भव्यता का दर्शन कराएगा। इस निर्माण कार्य के पूर्ण होने के पश्चात यहां बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक भी आएंगे। बौद्ध धर्मालंबियों के लिये यह एक प्रमुख आस्था तथा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। 

वैशाली में बुद्ध सम्यक् दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप के बनने के उपरांत यहां देश-विदेश से पर्यटक पहुंचेगे और यह स्थल बौद्ध धर्मावलंबियों, इतिहास प्रेमियों एवं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। यह स्थल न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा बल्कि बिहार में पर्यटन विकास के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित होगा।

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