Nalanda :- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा के कल्याण बिगहा से चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाले जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर को झटका लगा है.नालंदा के कल्याण बिगहा की सीमा पर प्रशांत किशोर के काफिले को प्रशासन ने गांव में जाने से रोक दिया. काफी देर तक अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही.
बताते चलें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क़रीबी माने जाने वाले राजनीतिक रणनीतिकार से जन सुराज पार्टी बनाने वाले प्रशांत किशोर ने आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव में जाने की कोशिश की. इस दौरान प्रशासनिक अवरोधों का सामना किया. प्रशांत किशोर अपनी टीम के साथ मुख्यमंत्री के गांव में दलित परिवारों की स्थिति का जायजा लेने जा रहे थे, जिन्हें भारी संख्या पुलिस बल तैनात कर रोक दिया. उसके बाद वे 4 लोगों के साथ कल्याण बिगहा गए. वे कथित तौर पर सरकार द्वारा घोषित योजनाओं का लाभ उन दलित अति पिछड़ा समाज के लोगों को मिल रहा है कि नहीं उसका सर्वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा से करने जा रहे थे. लेकिन न जा पाए हैं.
पुलिस द्वारा रोके जाने के सवाल पर प्रशांत किशोर ने दृढ़ता से कहा कि आप रुक जाइए. आपके सामने चार लोग जा रहे हैं और हमारी जहां तक जानकारी है, धारा 144 लागू नहीं है. देश में लोकतंत्र है. किसी गांव में जाने के लिए, किसी से मिलने के लिए तो कोई रोक नहीं है" उन्होंने आगे नीतीश कुमार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा की अबकी सरकार अगर इतना डरी हुई है कि अपने गांव में लोगों से मिलने नहीं देंगे, तो बिहार के 40,000 गांवों को बंद कर दीजिएगा. प्रशांत किशोर का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा घोषित योजनाओं की वास्तविक स्थिति जांचना था.
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा मिलना चाहिए. "हम सिर्फ यह देखना चाहते हैं कि कम से कम नीतीश जी के गांव में किसी को अगर पैसा मिल गया है तो उनसे मिलना चाहते हैं. उन्होंने 2008 से चली आ रही नीतीश कुमार की घोषणा का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि सभी दलित और महादलित परिवारों को तीन लाख रुपये की जमीन दी जाएगी. किशोर ग्रामीणों से इस बारे में पूछना चाहते थे कि क्या वास्तव में इस योजना का लाभ उन्हें मिला है. प्रशांत किशोर ने भूमि सर्वेक्षण और दस्तावेज़ीकरण में हो रहे कथित भ्रष्टाचार का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा, "कल्याणबीघा में जाकर पूछना चाहते हैं कि भाई, आप लोगों का जो दाखिल खारिज हो रहा है, रसीद कट रही है, जमीन का सर्वे हो रहा है, उसमें सरकारी अधिकारी और नेता आपसे पैसा ले रहे हैं कि नहीं ले रहे हैं?" उन्होंने स्पष्ट किया कि वे कोई धरना प्रदर्शन या सभा आयोजित नहीं कर रहे हैं, बल्कि केवल लोगों से बातचीत करना चाहते हैं. किशोर ने कहा कि "लोगों से पूछना चाहते हैं, अब अगर पूछने नहीं देंगे तो इसका मतलब है कि वो लोग डर रहे हैं." फ़िलहाल नीतीश कुमार के गांव में भारी संख्या में पुलिस बल को लगाया गया है. चप्पे चप्पे पर पुलिस बलों को तैनात किया गया है। हर एक व्यक्ति से पुछा ताछ के बाद ही लोगो को इंट्री दी जा रही है. यहां तक कि गांव के लोगो को भी रोक कर पूछताछ के उपरांत ही इंट्री दी जा रही है. जनसुराज के कार्यकर्ताओं को गांव में प्रवेश करने नही दिया जा रहा है.
इस संबंध में सदर एसडीओ काजले वैभव नितिन ने बताया कि 8 हजार लोगों का परमिशन बिहार शरीफ श्रम कल्याण के मैदान में दिया गया है. कल्याण विगहा में मास गैदरिंग करने की अनुमति नहीं है. जो निर्धारित स्थल है. वहां जाकर अपनी सभा कर सकते हैं.
नालंदा से महमूद आलम की रिपोर्ट