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नीतीश सरकार का दावा - सतत जीविकोपार्जन योजना से बदल रही है ग्रामीण महिलाओं की तकदीर..

Nitish government claims - Sustainable livelihood scheme is

Patna :- चुनावी साल में बिहार के नीतीश सरकार अपने विभिन्न योजनाओं का बढ़कर प्रचार-प्रसार कर रही है. इस कड़ी में राज्य की ‘सतत् जीविकोपार्जन योजना’ से अब तक 95 हजार से अधिक अत्यंत गरीब परिवारों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद मिलने का दावा किया जा रहा है.

बताते चलें कि सतत जीवकोपार्जन योजना बिहार के ग्रामीण विकास विभाग और जीविका परियोजना के तहत चल रही है। इस योजना से लाभांवित परिवारों के जीवन में नया सवेरा आया है।इसका श्रेय जीविका परियोजना को जाता है। जीविका से जुड़ कर ये न सिर्फ अपनी आजीविका के लिए आत्मनिर्भर हुए हैं बल्कि अत्यंत निर्धनता से भी इन्होंने छुटकारा पाया है।  


1,85,122 परिवारों को दी गई जीविकोपार्जन अंतराल राशि

इस योजना के तहत अब तक 2 लाख 1 हजार 218 अत्यंत निर्धन परिवारों का चयन किया जा चुका है। इनमें से 1 लाख 85 हजार 122 परिवारों को जीविकोपार्जन अंतराल राशि दी गई है और 1 लाख 89 हजार 271 परिवारों को एकीकृत परिसंपत्ति (जैसे गाय, बकरी आदि) हस्तांतरित की गई है।


बेहद गरीब परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य

इस योजना का उद्देश्य है – बेहद गरीब और पिछड़े वर्ग के परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना। खासकर अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों को इससे जोड़ा गया है। ऐसे कई परिवार पहले शराब और ताड़ी के काम से जुड़े हुए थे लेकिन अब वे सम्मानजनक और स्थायी आजीविका के रास्ते पर हैं।

योजना के तहत प्रत्येक परिवार को एक लाख से दो लाख रुपये तक का निवेश सहयोग दिया जा रहा है। इसके जरिए परिवारों ने पशुपालन जैसे व्यवसाय अपनाए हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी है और जीवन में स्थिरता आयी है।


ग्रामीण महिलाओं की बढ़ी भागीदारी

फिलहाल इसका तेजी से सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। अब ये परिवार बेहद गरीबी रेखा से निकलकर सम्मानजनक जीवन जी पा रहे है। इसका असर सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक रूप से भी दिख रहा है। ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और वे भी अब निर्णय लेने की प्रक्रिया में आगे आ रही हैं। 

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