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उत्पाद सिपाही बहाली में हुई मौतों पर पचास लाख और सरकारी नौकरी दे सरकार...

BJP on Police Vacancy

उत्पाद सिपाही बहाली में हुई मौतों पर चार लाख का मुआवज़ा एक क्रूर मज़ाक़ ...

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने एक प्रेस बयान में कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की है कि उत्पाद सिपाही भर्ती परीक्षा के दौरान दौड़ में मारे गए अभ्यर्थियों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। यह मुआवजा उन परिवारों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।

साह ने कहा कि जिन छात्रों की मृत्यु हुई है, वे सभी झारखंड राज्य के निवासी थे। ये युवा राज्य का भविष्य थे और झारखंड की संपत्ति के रूप में देखे जा रहे थे, लेकिन अब वे अपनी जिंदगी की जंग हार गए हैं।

उन्होंने कहा कि झारखंड और झारखंडियों के हित की बात करने वाले मुख्यमंत्री यह भूल रहे हैं कि भर्ती परीक्षा के दौरान मारे गए युवक राज्य के होनहार बेटे थे। उनके निधन के साथ ही उनके परिवारों की पूरी दुनिया उजड़ गई है। ऐसे में सरकार द्वारा सिर्फ चार लाख रुपये का मुआवजा देना बेहद अपमानजनक है और यह उन युवाओं के प्रयासों का अनादर है। यह मजाक हेमंत सोरेन सरकार को भारी पड़ेगा। उनकी गलत नीतियों के चलते 20 होनहार युवा, जो सरकारी नौकरी की उम्मीद में थे, असमय काल के ग्रास बन गए।

साह ने आगे कहा कि मंत्रिपरिषद की पिछली बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन ने स्वयं घोषणा की थी कि राज्य के सभी मंत्री मृतक अभ्यर्थियों के परिवारों के पास जाकर मुआवज़ा राशि प्रदान करेंगे। लेकिन लगभग एक महीने बाद भी कोई मंत्री उन परिवारों के पास नहीं गया है, क्योंकि सत्ता के नशे में चूर गरीब परिवारों के घरों में जाने से अपने जूते गंदे होने की चिंता कर रहे हैं।

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री अपनी 10-20 दिन पुरानी बात भूल जाते हैं, तो उन्हें अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों की याद कैसे आएगी? हेमंत सरकार ने झारखंड की जनता और युवाओं से किए गए अपने हर वादे को निभाने में पूरी तरह असफल रही है। जनता इसका जवाब दिसंबर में होने वाले चुनावों में देगी और इंडिया गठबंधन को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगी।

साह ने मांग की कि सरकार दौड़ में मारे गए युवाओं को शहीद का दर्जा दे, क्योंकि वे राज्य की सेवा के लिए परीक्षा में भाग ले रहे थे। साथ ही उनके परिवारों को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। यदि सरकार ऐसा करने में असमर्थ है, तो उसे खुलकर यह बात कहनी चाहिए।

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