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झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से ईडी को सुप्रियो भट्टाचार्य ने दिया सुझाव। झामुमो के महासचिव ने ईडी को राजनीति के दल के रूप में काम करने का लगाया आरोप।

JMM on ED Work


मुख्य मुद्दा है 2024 चुनावी वर्ष है , एक वर्ष में तीन से 6 महीने तक हर राजनीतिक दल को पूरी तरह अपने किए काम ,भविष्य की योजना, लोगों के साथ प्रतिब्धता उनके प्रचार प्रसार के लिए होती है। हर राजनीतिक दल अपने अनुसार कार्यक्रम करती है। लोकसभा का चुनाव मई के अंत तक लोकसभा का गठन हो जाना है। मार्च के सेकेंड वीक से प्रक्रिया शुरु हो जायेगी, जब तिथियां घोषित होगी। 

लेकिन उसके पहले राजनीतिक दल पर केंद्रीय एजेंसी का क्रिया कलाप है , बीजेपी ने तय कर लिया है राजनीतिक रुप से जब मुकाबला नहीं कर पाएंगे तो धर्म की नाम पर और केंद्रीय एजेंसियों के नाम पर भ्रम फैलाया जाए , खास कर ईडी की बात करें, ईडी के राजस्थान वाले खेल की पूर्णरावृति झारखंड में लोकसभा चुनाव के पूर्व हो रही है। झारखंड एक ऐसा राज्य जो संघर्ष के नाम पर बना है संघर्ष करना जनता है।

         ईडी ने आठवां सम्मन किया तो मीडिया में भी सार्वजनिक हुआ।ईडी जब कोई नोटिस करती है तो नोटिस क्या पब्लिक डोमेन में डालती है , अगर नहीं तो सार्वजनिक तौर पर सूचनाएं कैसे आती है। लगातार खबरें आना , इसका मतलब है ईडी राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए, राज्य सरकार के काम को रोकने के लिए इस तरह का काम कर रही है। इसको लेकर गांव गांव में आक्रोश है , जब सरकार हमारे पास आ रही ,कुछ काम होना है तो ईडी अडंगा लगा रही। ये चीजें सही नहीं है। राज्य सरकार ने अपने कैबिनेट के फैसले में साफ कहा है, हमसे पूछिए हम आपको कॉपरेट करेंगे। 

     14 अगस्त का दिन तय हुआ था , ईडी को मालूम था हर राज्य का सीएम 14 अगस्त को कितना व्यस्त होता है। मुख्य ध्वजारोहण करते हैं। 26 जनवरी को यही काम संवैधानिक।प्रमुख करते हैं। साजिश वहां से शुरु होता है 14 अगस्त को आइए। साल की शुरुआत के साथ ही फिर से सक्रिय हो जनता , इतने दिन से इतने।लोगों को पकड़े हुए हैं ,राजनीतिक लोग भी उसमें हैं, बताइए न क्या मिला।

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