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अब नीतीश ने मांझी के पाले में डाला गेंद, अब आगे क्या ?

nitish accepts resignation

बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड(JDU) के सर्वोच्च नेता नीतीश कुमार ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(HAM) के संस्थापक और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन का इस्तीफा मंजूर कर लिया है. HAM के अध्यक्ष और राज्य के SC-ST कल्याण मंत्री संतोष कुमार सुमन ने दोपहर में नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दिया था. वो अपने पिता जीतन राम मांझी के साथ मंत्री विजय चौधरी से मिलने पहुंचे थे और अपना इस्तीफा सौंप दिया. संतोष सुमन ने इस्तीफे के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और आरोप लगाया कि JDU उनपर और उनके पिता जीतन राम मांझी पर विलय करने का दबाव बना रहे थे. 


संतोष सुमन ने कहा कि पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया. संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद एक बैठक हुई, जिसमें ताजा राजनीतिक हालातों पर चर्चा हुई. बताया जा रहा है कि जल्द ही नीतीश के मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, और चर्चा है कि संतोष सुमन की जगह पर सहरसा जिले से JDU विधायक रत्नेश सदा को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. रत्नेश सदा शाम को नीतीश से मुलाकात करने भी पहुंचे थे. नए मंत्री का शपथ ग्रहण बुधवार को होने की चर्चा चल रही है. 


मांझी ने डाला नीतीश के पाले में गेंद


इस्तीफे के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए संतोष सुमन ने नीतीश कुमार पर विलय करने का आरोप तो लगाया ही साथ ही यह भी कह दिया कि भले उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हो लेकिन उनकी पार्टी HAM अभी भी महागठबंधन में है. यानी मांझी ने एक बार फिर गेंद नीतीश के पाले में डाल दिया है. यानि नीतीश कुमार या महागठबंधन के नेता उनके पिता जीतन राम मांझी को मनाना चाहें तो अगला कदम उठाने से पहले ये लोग इंतजार करने के लिए तैयार हैं. लेकिन संतोष सुमन का इस्तीफा मंजूर होने से लगता है कि मांझी की उछल-कूद भरी राजनीति से नीतीश का मन भर चुका था और उन्होंने भी अब मांझी को फ्री छोड़ने का फैसला कर लिया है. नीतीश ने मांझी के बेटे का इस्तीफा मंजूर करके गेंद वापस मांझी के पाले में डाल दिया है कि वो जो फैसला करना चाहते हैं, कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि इस्तीफा देकर दबाव बनाने की मांझी की राजनीति नीतीश के सामने काम नहीं आई.  अटकलें हैं कि जीतन राम मांझी बीजेपी से हाथ मिलाकर NDA में शामिल हो सकते हैं और उनके साथ ही 2024 लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. मांझी पिछले महीने दिल्ली में अमित शाह से भी मिले थे. 


मांझी को कैसे मिलेगी 5 सीट ?

 

जीतन राम मांझी महागठबंधन से लोकसभा की 5 सीट मांग रहे थे, जिसकी वहां गुंजाइश नहीं थी. हालांकि मांझी को 5 सीट NDA में भी मिलने से रही क्योंकि बीजेपी इस बार बिहार खुद कम से कम 30 लोकसभा सीट पर खुद लड़ना चाहती है. बची हुई 10 सीट में उसे चिराग पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा, मुकेश सहनी, पशुपति पारस के बाद अब मांझी को भी देखना पड़ सकता है. चिराग पासवान और मुकेश सहनी औपचारिक रूप से NDA में शामिल नहीं हुए हैं लेकिन पूरे आसार हैं कि दोनों बीजेपी के साथ ही जाएंगे.

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